ग़ज़ल

ज़िन्दा मेरे  वजूद  की कहानी लगे मुझे
उनके बगैर जिंदगी भी बेमानी लगे मुझे।

उनकी  मोहबतो  के ही दम जीये मगर,
गम दीदा ख्वाइशों की जुबानी लगे मुझे ।

दिलकी तडप ने पहोचाया उस मकाम पर,
मिलने की ही उमीद पे रूहानी लगे मुझे।

मेरा नसीब खींचके वहीं लाया तेरी तरफ,
बिमारे जांबलब की ही निशानी लगे मुझे।

मासूम बने सहारे का युं हमें आसरा मिला,
हर तरहा से ही तेरी मेरी कहानी लगे मुझे ।

-आकिब जावेद

                           

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