तेरा साथ हो मेरा हाथ हो
संग तेरे चाहत की बरसात हो
तुझे सोचूँ तुझको ही देखू
मिलने की तुझसे इक आस हो
रंग बिरँगी दुनिया हो अपनी
सिर्फ मीठा मीठा सा अहसास हो
भूल जाऊँगा मैं भी सब कुछ
तेरा साथ हो मेरा हाथ हो
भूल जाता हूँ मैं ग़म अपने
दिखा देते हो तुम भी सपने
मिल जाता है मुझे भी सुकूँ
अगर साथ हो मेरा हाथ हो
दिल का समंदर भी उफ़ान में है
हर धड़कन में सिर्फ तेरा नाम है
चाहत की बरसात करने के लिए
तेरा साथ हो मेरा हाथ हो
दिल का समंदर भी उफ़ान में है
हर धड़कन में सिर्फ तेरा नाम है
चाहत की बरसात करने के लिए
तेरा साथ हो मेरा हाथ हो
-आकिब जावेद
5 टिप्पणियाँ
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 19 अक्टूबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुंदर
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंजहां मिलन की इतनी प्यास हो तड़प हो
जवाब देंहटाएंउम्मीद हो उसी का ही ख्याल हो
सारी कायनात भी अपने आप मिल जाती है मिलाने मे
हर प्रेमी में ऐसी प्रेम की भावना हो तो क्या बात हो
बहुत सुन्दर लिखी है आपने शुभकामनाएं
मेरी रचना बहाने पर आपका स्वागत है
बेहतरीन
जवाब देंहटाएंThanks For Visit My Blog.