कविता - तेरा साथ हो मेरा हाथ हो

तेरा साथ हो मेरा हाथ हो
संग तेरे चाहत की बरसात हो
तुझे  सोचूँ  तुझको  ही  देखू
मिलने की तुझसे इक आस हो
रंग बिरँगी दुनिया हो अपनी
सिर्फ मीठा मीठा सा अहसास हो
भूल जाऊँगा मैं भी सब कुछ
तेरा साथ हो मेरा हाथ हो

भूल जाता हूँ मैं ग़म अपने
दिखा देते हो तुम भी सपने
मिल जाता है मुझे भी सुकूँ
अगर साथ हो मेरा हाथ हो

दिल का समंदर भी उफ़ान में है
हर धड़कन में सिर्फ तेरा नाम है
चाहत की बरसात करने के लिए
तेरा साथ हो मेरा हाथ हो

-आकिब जावेद

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