कविता : आँख


आज का कार्य: आँख

आँख तेरी हो या मेरी
गरीब हो या कि अमीर
आँख तो आँख है,
करती है मार्मिक बाते
प्यार भी होता है खूब
अंतर्द्वंद हो या कि
अंतर्मन की बाते
वो भलीभांति
समझती है सब
भूख हो
या प्यास का अहसास
दुःख हो
या सुख का आभास
करता हो कोई नेक काम
या कि किया हो अत्याचार
देखती रहती है सब
बिना कुछ कहे
बिना कुछ सुने
क्या करे वो तो आँख है
है केवल देखने का अधिकार।।

-■आकिब जावेद■

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