बच्चे मन के सच्चे (शिक्षक डायरी का अंश)

विद्यालय में छब्बीस नवंबर को एक बेहद प्यारा पल देखने को मिला।
कक्षा में बच्चों को पढ़ा रहा था कि तभी बाल वाटिका में  अध्ययनरत छोटी-सी बच्ची अनन्या मुस्कुराते हुए मेरे पास आई।
हाथ में टॉफियाँ लिए बोली- “सर, मेरा आज जन्मदिन है!”

उस मासूम ख़ुशी को देखकर दिल भर आया।
मैंने उसे कॉपी-पेंसिल भेंट की।उपहार पाकर अनन्या की आँखों में जो चमक थी, वह देखने लायक थी। 

बच्चे सच में मन के सबसे सच्चे होते हैं।
आजकल छोटे-छोटे बच्चे भी अपनी खुशियाँ सबके साथ बाँटना जानते हैं- टॉफी बाँटकर ही सही,पर खुशी को साझा करने का उनका तरीका अनमोल है।

लेकिन हम बड़े…?
कभी-कभी न जाने किस बात का दर्प हममें आ जाता है कि न अपनी खुशियाँ साझा करते हैं और न ही दूसरों के दुःख में शामिल होते हैं।

सच तो यह है कि छोटे-छोटे बच्चों से जीवन की सबसे बड़ी बातें सीखी जा सकती हैं।

अनन्या को ढेर सारा आशीर्वाद और उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ।💐🍰👍

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ