2122 2122 2122 212
जाने वालों ने दिल से अब तन्हा कर दिया
इश्क़ था वो पुराना नाम तुम्हारा कर दिया।
कुछ किस्से है अधूरे ज़िन्दगी के छूटे हुए
मौत ने आग़ोश में ले के अँधेरा कर दिया।
गुमराही में जाने से कौन किसको रोका है
नाम तुम्हारे हमने एक सितारा कर दिया।
तकल्लुफ़ ज़िन्दगी में किसी को ना दिया
ज़िन्दगी ने यूँ ही ख़ामख़ा तन्हा कर दिया।
तकाज़ा उम्र का चेहरे से झलक जाता है
ज़िन्दगी ने ज़िन्दगी में तमाशा कर दिया।
तमाशाई दुनिया में दिल लगा के बैठ गए
मौत ने आते ही सारा रंग फीका कर दिया।
सारे शिकवे अब सिर्फ तुझसे ही कहे आकिब' अपनों ने तो कब का बेसहारा कर दिया।।
-आकिब जावेद

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