हवाएं लाख नफ़रतों की यहाँ चला करती है
इश्क मुहब्बत की अपनी अदा हुआ करती है
वो घटाएं वादियां तमाम लुफ़्तो इनायतें रही
भूल जाना भी बड़ी बात हुआ करती है
कारवाँ मुहब्बत का मेरे पास से गुज़र गया
हालात को खुद बा खुद आँखे बँया करती है
कोशिसे बहुत की यूँ दिल से दूर जाने की
विरह की पीड़ा से वो ऐसे जला करती है
है किस्मत में चमकता सितारा सदियो से कोई
दिल की धड़कन ऐसे ही देखकर बढा करती है
देख हर किसी को ऐसे मुहब्बत नही की जाती
आकिब' मुक़द्दर से अब दुआ नफ़ा करती है
-आकिब जावेद
2122 1122 1122 22(112)

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