यूँ भी आ मेरे दिल में तू,मेरे दिल को सँवार दे
नज़र से नज़र मिले,खुद को दिल में उतार दे
बेचैन पल को जो करार दे,मेरे खुदा ऐसा यार दे
कज़ा ना हो नमाज़े इश्क कभी,ऐसा मुझे गुबार दे
जब तक तेरी यादे दिल में मेरे अपना प्यार दे
आकर मिल मुझसे अब मेरी जिंदगी सँवार दे
तन्हा सफर में निकल पड़े,यूँ अब राहे यार दे
हर सिम्त साँस महक उठे,जिंदगी संग गुज़ार दे
ये हुस्न,बला,सोखियाँ,और ये अदायें करार दे
मेरी वीरान जिंदगी में आकर इसको निखार दे
तेरी मुस्कान इक झरना,वादियां हो तेरी हर अदा
ख्वाबो में आ मिल मुझसे,हकीकत में अब पुकार दे
नैनों के कटारी जो चला रहे हो अब कुछ सोच कर
सारी उम्र यूं ही गुज़ार दे,अपने नैनो से ऐसे पुकार दे
ए खुदा मोहब्बते यार में लिखने का ऐसा हुनर निखार दे
मिरे लफ्ज़ सारे यूँ महक उठे मुझे ऐसी कोई बहार दे
ये फासले फैले हैं यहाँ दरमियाँ जिंदगी में जो इस तरह
कुछ गुलों को भी इज़ाज़त हो चमन में खुशियां बिखेर दे
तमन्नाओ को बांधे खुद से इस तरह,कोई हमनवा कमाल दे
मिलने की जिससे अज़ल से तमन्ना रही,ऐसा बेमिशाल यार दे
माना कठिन हैं, हर दौर में मुहब्बत को अपने ऐसे पाना
अब आकिब'जिंदगी को अपने किसी के लिये यूँ वार दे।।
गिरह'
"लफ़्ज़ लफ़्ज़ मोती यूँ अब बन जाये यार के लिये
बना इश्क की माला,मोती मोती में इश्क निखार दे"।।
®आकिब जावेद
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