यूँ तुम मुस्कुराया करो दिल अभी भरा नही
मिलने की आरज़ू से यूँ साँस महक रही है।।
तेरा मिलना यूँ मुझसे और बिछड़ना तेरा
तमाम उम्र इसी चाह में अब गुज़री हैं।।
एक आह जो दिल से निकली हैं अब
उसी जुस्तुज़ू में अब ये जाँ निकलती है।।
वो विरह की रातें कटती नही तेरे बिन
पूनम की सारी रातें बिन तेरे फीकी है।।
आग़ोश में तेरे आने को अब जी चाहता है
आकिब'सब सर्द राते आधी अधूरी ही है।।
®आकिब जावेद
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