अपनों को अपनों से दूर देखे हैं
घमंड में लोग खूब चूर देखे हैं।।
लोगो को अक्सर अकड़ते देखे हैं
मुर्दो के भी हमने मुकद्दर देखे हैं।।
पैसो को जैसे स्वर्ग लेकर जाएंगे
होते यहाँ पैसो के बिस्तर देखे हैं।।
जो होता था शहर कभी हरा भरा
आज वहाँ उजड़ा हुआ नगर देखे हैं।।
कभी तलवार के धार थी उसकी शान
आज बियाबान में उसका घर देखे हैं।।
जो सोचते थे रहेंगे उम्रभर इस दुनिया में
यहाँ फानी होते हुये सबका मंज़र देखे हैं।।
®आकिब जावेद
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