ठहर सा गया है ,ये समुन्दर का पानी
जरा जा के देखो,इसे क्या अब हुआ है
कंही तेरी यादो में खो ना गया हो
जरा जा के देखो इसे क्या हुआ है
मदमस्त सा बहता सदा रहता था, ये
कंही तेरी बातो में खो ना गया हो
चंचल सा बहता नीर सदा ये
ख्यालो से बाहर निकालो इसे अब
बातो में तुम हो,जवाबो में तुम अब
लड़खड़ाती सी मेरी मुस्कराहट में तुम हो
ताना ये देते ज़माने के लोग अब
इसे क्या हुआ है पागल बना है
ठहर सा गया है, ये समुन्दर का पानी
जरा जा के देखो,इसे क्या अब हुआ है
हिरनी सी कोमल,नयन नक्श वाली
वो सूंदर सी इठलाती प्रकति की घटा है
बिजली की चमक सी, दामनी की तड़क सी
गर्जना से उसकी धरती हिली है
बातो में उसकी मिश्री घुली है
लेकिन बाते कंयू ना अब हमसे वो करे है
होशो हवासो में कहता हूं ये अब
वो जब मिले हैं स्वर्ग लगे है
ठहर सा गया है ,ये समुन्दर का पानी
जरा जा के देखो,इसे क्या अब हुआ है
कंही तेरी यादो में खो ना गया हो
जरा जा के देखो इसे क्या हुआ है
ठहर सा गया है ,ये समुन्दर का पानी
जरा जा के देखो,इसे क्या अब हुआ है!!
आकिब जावेद
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