आज की शायरी आकिब जावेद

शे'र
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वतन  की  ख़ाक  प्यारी  है  हमें  भी  इस - क़दर  यारो ,
सदा    चूमेंगे    हम    ता-हश्र   ख़ाक   को  इबादत  में।
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وطن  کی  خاک  پیاری  ہے  ہمیں  بھی  اس  قدر  یارو ،
صدا  چومیں  گے  ہم  تا حَشْر  خاک  کو  عبادت   میں۔
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आकिब जावेद

इस - क़दर :  हद से ज़्यादा, निहायत
सीमा स्तर, मूल्य, किसी स्तर, किसी दर्जा।

ता - हश्र : हश्र तक, क़यामत तक, प्रतीकात्मक: लम्बी अवधी तक, लम्बे समय तक।

ख़ाक :मिट्टी, मृत्तिका ,धूल, गर्द,भूमि, ज़मीन,भस्म, राख, धूल



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