शे'र
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वतन की ख़ाक प्यारी है हमें भी इस - क़दर यारो ,
सदा चूमेंगे हम ता-हश्र ख़ाक को इबादत में।
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وطن کی خاک پیاری ہے ہمیں بھی اس قدر یارو ،
صدا چومیں گے ہم تا حَشْر خاک کو عبادت میں۔
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आकिब जावेद
इस - क़दर : हद से ज़्यादा, निहायत
सीमा स्तर, मूल्य, किसी स्तर, किसी दर्जा।
ता - हश्र : हश्र तक, क़यामत तक, प्रतीकात्मक: लम्बी अवधी तक, लम्बे समय तक।
ख़ाक :मिट्टी, मृत्तिका ,धूल, गर्द,भूमि, ज़मीन,भस्म, राख, धूल
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