गिर कर खुद संभलना होगा

छोटे - छोटे फूलों को
खिलना होगा
महकना होगा।
नन्हे - नन्हे सपनों को
हकीकत में ढलना होगा।
सपनीले आंखों को
हौसलों से बढ़ना होगा
कांटे तो रास्ते में बिछे होगें
गिरना होगा
फिर
गिर कर खुद ही संभलना होगा।

आकिब जावेद

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