• Apr 30, 2025

जलाओ चेराग़- ए- मोहब्बत जहाँ में

बहुत  रोया  है  दिल  दुखाने  से  पहले
जरा  बात   कर  लो  रुलाने  से  पहले।

मुहब्बत  से  रहते है  सब इस वतन में
मकाँ   देख   लेना  जलाने   से  पहले।

बहा  दे  लहूँ  को  वतन  के  लिए  ही
जरा सोच  लो  तुम  सताने  से पहले।

रहा  दूर   घर   से  कमाने के खातिर
जरा   सोच   लेना  लुटाने  से  पहले।

जलाओ  चेराग़- ए- मुहब्बत जहाँ में
नई   रौशनी  लाओ  जाने  से  पहले।

✍️आकिब जावेद

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