मुक्तक - यूं तो मुझे रंग डाला मेरे यार ने।

2212 2212 2212

यूं  तो  मुझे  रंग  डाला  मेरे  यार ने
की  है मुहब्बत भी बयां दिलदार ने
रूख़ी उसे रोटी  खिला सकता नहीं
उफ़्फ़  उड़ाया  होश  इस बाज़ार ने।

-आकिब जावेद

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