आज की शायरी

रदीफ़-है ऐसी
काफ़िया-ई

122 122 122

दुकाँ  में   बिका  जह्  यारो
जुबाँ  शीरीं   होती  है  ऐसी

-आकिब जावेद

شیر

دُکان    میں  بھی  زہر  یارو
زُبان شیریں  ہو طے  ہے  ایسی

عاقب جاوید

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