अतुकांत कविता : चिरनिद्रा

दबा हुआ सा है
आत्मविश्वास,
आत्मनिर्भरता,
आत्मसंयम,
नियंत्रित
करते हुए
अनियंत्रित होना
एवं
ऐसा महसूस होना
जैसे डूब चुके है
किसी अथाह
सोच के समुद्र में
एवं बार -बार
लगा रहे है
डुबकी
जागते हुए
चिरनिद्रा में!

#akib

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