वक्त की आँधी कँधों में सवार हो गयी
ज़िन्दगी के सूखे पत्ते भी कहीँ खो गए
धूल उड़ती रही साथ साथ बारिशों के
ज़िन्दगी का मौसम फिर भी सूखा रहा
पंक्षी भटक रहा छोर दर छोर पर यहाँ
ज़िन्दगी की गर्मी से रूह ये झुलस गयी
ज़ुग्नू अब चल पड़ा है अँधेरे की ओर
उजाला उसके साथ साथ में चल दिया
दुःख भी पूछ ले रास्ता कभी सुख का
धीरे-धीरे ही सही मेरे चौखट तक आए
✒️आकिब जावेद
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