कविता : कुआँ

*कुआँ*

शांत जंगल में
सुनसान इलाका
एक पेड़ जो देता
जीवन में ऑक्सीजन
उसी के बीच में है
एक कुआँ
जिसमे दफ़न है
राहगीरों की प्यास
वो प्यास
जो बुझाती थी
आते-जाते,थके
मजदूर,किसान
प्यासों की प्यास,जो
देती है सुकूँ सबको
न होता वो कुआँ
तो क्या करते लोग
न मिलता सुकूँ
न होती आस!!

-आकिब जावेद

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