रोशनी का इंतज़ार : दिवाली कविता

कुछ बस्तियाँ ऐसे ही रही
जिनमे भरा रहा अँधेरा
जैसे बोरे में भरे
अंधेरों को
इंतज़ार हो
सिर्फ और सिर्फ
उन किरणों का
जो
आयेगी और करेगी
रोशन जमी उनकी
जो
अंधेरों के बोरे में
भरी हुई है!

-आकिब जावेद

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