दीवार पत्रिका 02 अंक का निर्माण: आकिब जावेद

एक महीना बीत चुका 05 सितंबर से 05 अक्टूबर आ गया पता भी नही चला,यही कुछ गत माह पहले प्रकशित दीवार पत्रिका "इंद्रधनुष" का पहला अंक को देख कर ऐसा ही प्रतीत होता है,बच्चो ने दूसरे अंक के लिए सारी तैयारियां पूरी कर ली थी,किसी में लेख,निबंध, कविता,कहानी,चित्र सभी ने सम्पादक महोदय के पास उपलब्ध करवा दिए थे।बच्चो ने पिछले अंक से सीख लेते हुए इस अंक में बहुत सी चीज़ों में बदलाव किया।इस अंक में सबसे पहले संपादक एवं सह-संपादक मिल कर सभी रचनाओं को एकत्रित करने के उपरान्त जो रचनाएँ सबसे अच्छी लगी उन्हें अपने इस अंक के लिए अलग कर लिया।जिससे सबकी रचनाओ में उत्कृष्ठ रचना को इस अंक में स्थान मिल सके एवं एक प्रतियोगिता की भावना भी बच्चो के मन में जाग्रत हो सके।पूरी टीम ने मिलकर "इंद्रधनुष" पत्रिका का निर्माण किया।किसी ने कला संपादक की टीम ने बार्डर बनाया,संवादाता ने समाचार एकत्रित करके संपादक महोदय को उपलब्ध करवाए,और इन सबमे सबसे दिलचस्प बात यह रही कि सभी बच्चो ने प्रयास किया कि हमारी रचना को स्थान मिल सके यह देखना बहुत ही सुखद रहा।।इंद्रधनुष के रंग बिखरने के उपरान्त पत्रिका को उसके पूर्व निर्धारित स्थान पर लगा दिया गया।।
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पत्रिका बन जाने के उपरान्त जो चीज़ मैंने देखी वो यह रही की छोटे छोटे बच्चे भी आकर पत्रिका को देख रहे थे।पढ़ रहे थे।बच्चो के बाल मन में भी अपना नाम उस पत्रिका में देखने के लिए लालायित हो उठा हैं।मै बैठे बैठे यह सब देख रहा था,और मंद मंद मेरे मन में भी मुस्कान की किरणें दौड़ उठी थी।।

-आकिब जावेद
EMPS UMREHANDA-BISANDA,BANDA(UP)

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