इबादत  करते रहे  वो  बन गए ज़िन्दगी मेरी

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इबादत  करते रहे  वो  बन गए ज़िन्दगी मेरी
वो हमनशी बन कर आए ले गए बन्दगी मेरी

तलाशता फिर  रहा मै,खुद  की  जमी अपनी
मुहब्बत के राहो में अब दिख रही बेबसी मेरी

उसे   लगता  है  कि  उसे  भूल  गया हूँ  मैं
काश आकर झाख सकते दिल की उदासी मेरी

एक उलझन में घिरा हुआ ताकू चाँद तारो को
पास आने को बेताब सी देखी वो चाँदनी मेरी

चाहा बहुत  है  अपने  ज़िन्दगी  में उनको
मुझे घेरे  हुए  है  हर  तरफ से बे-रूख़ी मेरी

इशारो इशारो में अब सारी बाते किए हो
नही याद आती क्या तुमको दिल्लगी मेरी

सफर  दर  सफ़र रंवा  है मेरी  रूह में ऐसे
आकिब'इंतज़ार में है अब कोई ख़ुशी मेरी

-आकिब जावेद

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