22 22 22 22 22 22 22 2
मुफ़लिसों का दुनिया में अब कोई अधिकार नही
वोट की ताकत हाथ में समझो तुम लाचार नही।।
मुहब्बत में गरीबी का उड़ाते हो तुम मज़ाक
ये मुहब्बत नही धिक्कार है अब ये इज़हार नही।।
चारो तरफ घना अँधेरा,रोशनी की गुंजाइश रही
हर तरफ हथियार है कोई प्यार का अखबार नही।।
अपना बनाके एक पल भी तुमको भूल ना सके
जीत गए तो जीत है अपनी हार गए तो हार नही।।
खरीदने को बाज़ार में कई खरीददार बैठे है
हमारा ईमान खरीद सके ऐसा कोई बाजार नही।।
-आकिब जावेद

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