समझते है मुझे जो ऐसे पत्थर
मिरा दिल फूल है पत्थर नही मैं
फिरता रहता हूँ ऐसे दर-बदर ही
तेरे दिल में है घर, बेघर नही मैं
-आकिब जावेद
समझते है मुझे जो ऐसे पत्थर
मिरा दिल फूल है पत्थर नही मैं
फिरता रहता हूँ ऐसे दर-बदर ही
तेरे दिल में है घर, बेघर नही मैं
-आकिब जावेद
"सपने वो नहीं जो नींद में देंखें,सपने वो हैं जो आपको नींद न आने दें - ए० पी०जे०अब्दुल कलाम "
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