Today shayri

मुसीबत में दर-ए-हकीकत कौन समझेगा
मुस्तक़बिल गर हमारा यहाँ ना हुआ कोई
हमारी ज़िंदगी को ज़िन्दगी कौन समझेगा

मुश्तक़बिल : भविष्य
~आकिब जावेद

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