आओ उसका अब पता देता हूँ।।ग़ज़ल।।

2122 1122 22(112)

बेसहारो  को  सहारा  देता  हूँ
ऐसे   रोते  को  हँसा  देता   हूँ

होश  में तुम  याद  नही  आते
   बे-ख्याली  में  भुला देता हूँ

मुद्दतों  बाद  दीदार  हुए उनके
   अब  दिल का  पता  देता हूँ

मेरे  ख़ुदा  ने  मुझे  हया बक्सा
   अदब  से  सर  झुका देता हूँ

बुझते दियो को जलना न आया
प्यार  की  सम्मा  जला  देता हूँ

दुनिया ने हमेशा जख़्म हरे किये
प्यार  का मलहम  लगा  देता हूँ

इक सितारा बुलंदी में चमक रहा
आओ  उसका  अब पता देता हूँ

आँखों  ही  आँखों में आकिब' वो
  इज़हारे   वफ़ा  यूँ  बता  देता हूँ

-आकिब जावेद

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