पता है मुझे...कविता

अनसुलझा हुआ सा हूँ
थोड़ा सुलझा दो मुझे भी
कंही खोया हुआ सा हूँ
खुद से मिला दो मुझे भी
..
नही मिला पाओगे मुझे
मुझमे ही डूब जाओगे
हां पता है मुझे....

वो साथ मेंरे यूँ चलना तेरा
हाथो में हाथ मेरे रखना तेरा
वो हँसी पे यूँ हँसना तेरा
भूल गयी हो तुम सब
हा पता है मुझे...

घने कोहरे में मचलना तेरा
बारिश पे भींग जाना तेरा
वो आँखों में आँख डालना तेरा
खो गयी हो तुम कँही
हा पता है मुझे...

अनसुलझा ही सही
सुलझा दो मुझे
हकीकत में ना सही
ख्वाबो में फिर..
वैसे खुद से मिलवा दो मुझे..
नही कर पाओगी तुम...
हा पता है मुझे...

#akib
#यूँ_ही

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