मन का झरना
बहता जाये
इस कोने से उस कोने
झरना देखो आँखों का भी
बोझ हुआ गर कुछ दिल में
बह जाता यह पल पल
झरना एक जुबां का हैं
मुह से निकले
उबड़ खाबड़ निर्मल शीतल
झरना देखो मौसम में भी
हर मौसम में बहता जाये
उल्टा सीधा,सीधा उल्टा
झरना एक दोस्ती में रखो
हो कैसा भी अब जीवन
साथ रहेगा अब आजीवन।।
®आकिब जावेद
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