देखो मोजज़ा का किस अज़ल से इंतज़ार हैं

दिल अभी भरा नही,कि तड़प रहा हैं ये
मिलने को तुझसे तड़पे रोये जार जार हैं

निभा के साथ यूँ,चलना हैं तेरे साथ अब
मंजिल अभी मिली नही दिल तार तार हैं

ख्वाबो में मिले थे तुम,नींद से जगा दिया
सदी को एक पल का सदी से इंतज़ार हैं

कँहा जगह हैं नींद की अब आँखों में मेरे
तेरी यादो में नींद अब देखो हम-कनार हैं

फलक तलक हैं दिख रहा हरा भरा जहान ये
चलूँ साथ जिस डगर,अब मिले वही बहार हैं

रिस्ते तमाम जिंदगी में ऐसे मिलते ही रहे
रिस्ते निभा ले जो उस शख्स की दरकार हैं

जो चाहता हो जिसे जियारत मिले उसे
मेरी जियारतो में बस मेरा महबूबे यार हैं

ज़माने के निगाह में,उड़ा रहे थे खिल्लियां
आज बने बैठे हैं, अब वो हमारे राज़दार हैं

वो आसमाँ निहार के यूँ मुश्किलों में इंसा को
देखो मोजज़ा का किस अज़ल से इंतज़ार हैं।।

®आकिब जावेद

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ