आशिकी छुपी हैं,तिश्नगी दिखी हैं
बेखुदी जली हैं, शायरी लिखी हैं
आदमी कही हैं, सादगी नही हैं
रौशनी बुझी हैं,जिंदगी ढही हैं
बेखुदी वही हैं, बेरुखी दिखी हैं
डायरी वही हैं, आशकी नयी हैं
जिंदगी जली हैं, बंदगी चुनी हैं
आदमी वही हैं, रौशनी दिखी हैं
जिंदगी वही हैं, आशकी सही हैं
शायरी लिखी हैं, डायरी नयी हैं।।
#आकिब
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