होश ना रहा कुछ हमे,ग़मो को अपने दबाये
हँसता,मुस्कुराता,लड़खड़ाता खुद को डुबाये
तमाम मुश्किलों को अपने नज़रो में समाये
नही मिल रहा हमे अब कोई कुछ भी उपाय
मस्जिद गया,गिरजाघर गया,गया मैं शिवालय
ढूंढता रहा हल हर जगह नही कोई कुछ सुझाये
पड़ी जो नज़र रास्ते में वहाँ थी एक मधुशाला
मधुशाला में जा के हमने कुछ परेशानियाँ गिनायी
हमे यूँ देखकर उसने कुछ हैरत सी दिखायी
पड़ा कहाँ था अब तक तूने कुछ क्यू ना बतायी
परेशान लोगो की मदद मैं करता हूँ हरदम
दुःख दर्द प्यार को यहाँ आ के सब अपना भुलाये
जो ना मिला कँही भी जाने से कभी भी
मधुशाला में आकर बेसबब अपने दर्द मिटायें!!
®आकिब जावेद
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