कविता प्रयोगशाला में आचरण

कविता प्रयोगशाला में आचरण
..........................................

मिलते है प्रयोगशाला में
धीर गंभीर,चंचल,चतुर, शांत बच्चें 
विद्यालय अनुशासन केंद्र न होकर
होता है नैतिक आचरण घर
जहां तराशे जाते है बच्चें
जिनके घर का माहौल,
आस पास का समाज 
लिए बैठा है दिमाग में कूड़ा
शराबी, कबाबी,स्त्री के साथ दुर्व्यवहार
और न जाने कितनी अनैतिकता सीखता है
विद्यालय आने से पहले
दिमाग में कौतूहल के साथ - साथ 
सब रचा बसा होता है।
केवल पुस्तकों का ज्ञान 
और किताबी कीड़ा बनाना नही होता
बच्चों के अंदर भरनी पड़ती है 
राष्ट्रभक्ति,सामाजिक भावना
इन प्रयोगशाला में देश - विदेश
ज्ञान विज्ञान का भंडार होता है
सामाजिक चिंतन हो या महापुरषों की गाथा
सिखाया जाता है गर्व से भर जाना
किसी भी स्त्री की रक्षा करना और सम्मान करना
जड़े जुड़ी होती है मूल से
ये सब करता है शिक्षक 
बच्चों के साथ इन प्रयोगशाला में
बच्चों को शिक्षक,अधिकारी,वैज्ञानिक बनाना मकसद नहीं 
बच्चों के अंदर पनपे 
नैतिक आचरण,व्यवहार
और बने एक सभ्य समाज
जिसमें कभी भी किसी महिला को 
पुरुष के साथ की आवश्यकता महसूस न हो
विद्यालय किसी नौकरी की फैक्ट्री न होकर
पहले बने प्रयोगशाला और असेंबल हो बच्चे 
नैतिकता के लिए राष्ट्रभक्ति के लिए।

आकिब जावेद

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ