• Apr 8, 2025

चिकीर्षा पत्रिका में प्रकाशित ग़ज़ल - आकिब जावेद

आकर्षक मुख पृष्ठ के साथ बेहतरीन कलेवर इस अंक में प्रदर्शित हो रहा है।बेहतरीन ग़ज़लकारो के साथ ये ग़ज़ल विशेषांक अंक अपने आप में ख़ास है।देश के जाने पहचाने ग़ज़लकारो की शानदार ग़ज़ल इस अंक में साया हुई है।इस अंक की ख़ास बात यह भी हैं की जो ग़ज़ल सीखना चाहते है।उनके लिए विशेष रूप से ग़ज़ल के आलेख निकालें गए है।जो ग़ज़ल विशेषांक के इस अंक को विशेष बना रहा है।बेहतरीन संपादन और इतनी प्यारी पत्रिका को हम सब के बीच लाने के लिए आदरणीय दुर्गेश शाद जी एवं चिकीर्षा टीम का बहुत शुक्रिया।मेरी भी ग़ज़ल को आपने मान दिया इसके लिए दिल से शुक्रगुजार हूं।🌹♥️

आप पूरी पत्रिका पढ़ सकते है।👇

https://drive.google.com/file/d/13IVmFzIZzryJZfV5o533d3qO-9YV-sxB/view?usp=sharing



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9 टिप्पणियाँ

  1. सच कहा है छोटे भाई
    "ये ही हकीकत है आज के ज़माने की ।
    कुछ तो वजह है मेरी ख़ामोशी की।।"

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  2. आप सभी पाठको का बहुत शुक्रिया

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