क्षणिका

अमावस्या सा अँधकार,
उर में है व्याप्त,
पूर्णिमा सी चांदनी,
जीवन में 
खुशियां ले के आई।

-आकिब जावेद

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ