लौह पुरुष सरदार पटेल की जयंती में कविता

भारत के सच्चे सपूत,लौह पुरुष को मेरा वंदन
जनगण के मन में  महके बनके शीतल चन्दन

तुमने राष्ट्र का मान बढ़ाया,तुम नए भारत के सूत्रधार
राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोया,करते नमन हम बार-बार

तुम राजनीति के सूरवीर,स्थापित किए कई कीर्तिमान
तुम कूटनीति के ज्ञानवीर,तुम हो शंका के समाधान
निरपेक्ष हो कर किया काम,नही रहा कभी कोई बंधन
भारत के सच्चे सपूत,लौह पुरुष को मेरा वंदन

व्यक्तित्व तुम्हारा था बेमिसाल,थे प्रहरी तुम लोकतंत्र के
थामी तुमने आजादी की मशाल, नायक बन गए जनतंत्र के
राष्ट्र का करके एकीकरण,विश्व में मान बढ़ाया था
करके निर्वाह राजधर्म का,जनजन विश्वास जगाया था
नवाबो,राजे-रजवाड़े से किया राष्ट्र का मुक्त बंधन
भारत के सच्चे सपूत,लौह पुरुष को मेरा वंदन

ज्ञान से तुम परिपूर्ण रहे,तुम विधिक ज्ञान में पारंगत
समता को तुमने अपनाया,न्याय के लिए रहे प्रयासरत
तुम स्वयं त्याग की मूरत थे,कर्तव्यपरायण रहे जीवन में
तुम बापू के अनुयायी थे,दर्शन ग्रहण किया मन में
विरोधों का किया उन्मूलन,कर दिया आपने संसोधन
भारत के सच्चे सपूत लौह पुरुष को मेरा वंदन

बारदोल आंदोलन से तुम ,किसानों के नेता बने
मिली सरदार उपाधी,जनता के तुम अभिनेता बने
तुम राष्ट्र के गौरव हो, तुम हो भारत के रत्न
राष्ट्र को नही झुकने दिया,किया तुमने प्रयत्न
बेगार प्रथा को किया ख़त्म, बल्लभ राष्ट्र का है चंदन
भारत के सच्चे सपूत,लौह पुरुष को मेरा वंदन।

-आकिब जावेद
बाँदा,उत्तर प्रदेश

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