ईद मीलाद उन नबी/ सीरत-उन-नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ﷺ

नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ﷺकी जिंदगी हमारे और आप के लिए एक मिशाल है। जिसमे की जिंदगी की हर जरुरत का पहलू मिलता है।

🥀प्यारे-प्यारे आका नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ﷺ की सीरत मुबारक 🥀

नबी करीम मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ﷺ का इरशाद है : सिदक़ (सच) निजात का ज़रीया और झूट बाइस-ए-हलाकत है।

नबी अकरम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ﷺ हर लिहाज़ से कामिल इन्सान थे।

आप ने ज़िंदगी-भर कभी झूट नहीं बोला, हालाँकि जिस मुआशरे में आपने ने आँख खोली, उस की बुनियाद ही झूट, ग़लतबयानी और धोका-धड़ी पर थी।

झूट को अगरचे ऐब जाना जाता था मगर उस का चलन इस क़दर आम था कि मायूब होने के बावजूद उसे इन्सान की ज़हानत-ओ-फ़तानत और होशयारी- चालाकी तसव्वुर किया जाने लगा था।

रसूल-ए-रहमत सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने ऐसे मुआशरे में आँख खोलने के बावजूद अपने दामन को हमेशा इस आलूदगी से पाक साफ़ रखा।

❤️आपका बचपन❤️

बचपन और लड़कपन में भी आप की ये सिफ़त इतनी मारूफ़ और नुमायां हो कर पेश हुई कि मुआशरे का कोई फ़र्द ना इस से बे-ख़बर रहा, ना कभी उस का इनकार और नफ़ी कर सका।

पूरी क़ौम के दरमियान आप के सादिक़ वा अमीन के अलक़ाब से मारूफ़ हो गए थे।

आप की इसी सिफ़त की बदौलत बदतरीन मुख़ालफ़तों के अदवार में भी आप का सितारा चमकता रहा।

🥀एलान-ए-नबूवत🥀

चालीस साल की उमर तक आप पूरी क़ौम के दरमियान सबसे मुअज़्ज़िज़-ओ-मुहतरम शख़्सियत थे।

जब आप ने चालीस साल की उम्र में अल्लाह की तरफ़ से हुक्म मिलने पर एलान-ए-नबूवत किया तो हालात एकदम से बदल गए।

पूरी क़ौम आप की मुख़ालिफ़त में उठ खड़ी हुई। हर किस्म का हर्बा आप के ख़िलाफ़ इस्तिमाल किया जाने लगा।

कुफ़्फ़ार जान के दुश्मन बन गए लेकिन इस सारे अर्से में आप की सदाक़त का इनकार कोई ना कर सका।

कोह-ए-सफ़ा के मशहूर ख़ुत्बे में आप ने अपना असली ख़िताब शुरू करने से पहले लोगों से गवाही ली क्या तुम लोगों ने मुझे सच्चा पाया है या झूटा तो मजमा बा यक ज़बान पुकार उठा कि हमने आप ही को हमेशा ही सच्चा पाया है।

"आप ने कभी झूट नहीं बोला"

आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ﷺ ने कभी झूट नहीं बोला। इस गवाही के बावजूद इसी मजलिस में अब्बू लहब और दीगर लोगों ने बाद में दावत-ए-हक़ से इनकार किया रसूल अल्लाह को झुठलाया।

और नित-नए इल्ज़ामात तराशे लेकिन दाई-ए-हक़ के बारे में उनकी वो पहली गवाही कौल-ए-फ़ैसल बन कर तारीख़ का हिस्सा बन गई और लोगों के ज़हन में हमेशा पैवस्त रही।

क़ुरैश मक्का में आप का सबसे बड़ा मुख़ालिफ़ अब्बू जहल समझा जाता है। वो भी उनको झूटा कहने की हिम्मत ना कर सका।

एक मर्तबा अरब की एक दूसरी मारूफ़ शख़्सियत अख़नस बिन शरीक ने अबुजहल से पूछा कि तुम जो आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम को झूटलाते हो तो क्या वाक़ई उसे झूटा समझते हो?

जवाब में उसने कहा बख़ुदा, मै नहीं समझता कि मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम झूट बोलते है, लेकिन तुम्हें मालूम होना चाहीए कि वो बनू हाशिम में से हैं और हम बनू मख़्ज़ूम हैं।

हम हमेशा से उनके रिवायती हरीफ़ और मद्द-ए-मुक़ाबिल हैं। मेहमान-नवाज़ी से लेकर जंग आराई और जोद-ओ-सिखा से लेकर शेअर-ओ-ख़िताबत तक हर मैदान में हमने उनका मुक़ाबला किया है।

अब उसने नबुव्वत का दावा किया है तो हम उसे नबी मान कर अपनी बरतरी से दस्त-बरदार हो जाएं। बख़ुदा, ऐसा नहीं हो सकता। अल्लाह रब्बुल अलालमीन ने इसी वाकिये की जानिब क़ुरआन-ए-मजीद में कई मुक़ामात पर इशारा करके हुज़ूर को हौसला दिया है।

इरशाद बारी ताला है ”ए नबी (मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ) हमें मालूम है कि जो बातें ये लोग बनाते हैं, उनसे तुम्हें रंज होता है लेकिन ये लोग तुम्हें नहीं झूटलाते बल्कि ये ज़ालिम दरअसल अल्लाह की आयात का इनकार कर रहे हैं।

आप के हक़ में सदाक़त-ओ-अमानत की गवाही महिज़ अब्बू जहल ही ने नहीं दी बल्कि पूरी क़ौम उस की गवाह थी। नबी रहमत सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ﷺ ने अपनी उम्मत को जो हिदायात किये, उनमें सदाकत सबसे नुमायां है।

ख़ुद आप उस की एक बेहतरीन मिसाल थे, इसलिए अल्लाह रब्बुल अलालमीन ने आप को ऐसा रोब अता फ़रमाया था कि बदतरीन दुश्मन भी आप के सामने आँखें झुकाने पर मजबूर हो जाते थे।

🥀आप की सीरत का मशहूर वाक़िया🥀

आप की सीरत का मशहूर वाक़िया है कि अब्बू जहल ने किसी से ऊंट ख़रीदे थे और तय-शुदा सौदे के मुताबिक़ वो उनकी क़ीमत अदा करने में हीला हवाली से काम ले रहा था। लोगों ने उस शख़्स से कहा कि अपनी मदद के लिए मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ﷺ के पास चले जाओ।

लोगो का ये ख़्याल था कि अब्बू जहल आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ﷺ को ख़ूब जली कटी सुनाएगा लेकिन चश्म-ए-फ़लक ने ये मंज़र भी देखा कि जब हुज़ूर के उस अजनबी को साथ लेकर रईस क़ुरैश के पास पहुंचे और फ़रमाया कि इस की रक़म उसे अदा कर दो तो अब्बू जहल ने बिना किसी हुज्जत उस की पूरी रक़म अदा कर दी।

सुन्नत रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ﷺ के मुताबिक़ हमेशा सच्च बोलने वाले बंदों को भी अल्लाह की तरफ़ से एक ख़ास मुकाम हासिल हो जाता है। जो बदतरीन मुख़ालिफ़ीन पर भी उनका रोब और दबदबा क़ायम कर देती है।

🥀सिद्क़ एक आला शिफ़ात🥀

सिदक़-ओ-सच्चाई एक आला सिफ़त है। क़ुरआन-ए-मजीद में अल्लाह ताला का इरशाद है ’’ए लोगो जो ईमान लाए हो, अल्लाह का तक़्वा इख़तियार करो, सीधी और सच्ची बात किया करो, अल्लाह तुम्हारे आमाल दरुस्त कर देगा और तुम्हारे गुनाहों को माफ़ कर देगा।

जो शख़्स अल्लाह और उसके रसूलों की इताअत करे, बस वही अज़ीम कामयाबी का मुस्तहिक़ है”। एक दूसरे मुक़ाम पर तमाम अहल ईमान को तक़्वा की तलक़ीन फ़रमाते हुए हुक्म दिया गया ’’ए ईमान वालो अल्लाह से डरते रहो और सच्चे लोगों के साथी बन जाओ”।

हम इस नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ﷺकी उम्मत हैं, जिसने सच्चाई की तालीम दी और सच्चा बन कर हर दोस्त और दुश्मन से अपना सिक्का मनवाया।

किसी कलिमागो के लिए झूट बोलना हरगिज़ जायज़ नहीं। सच्च बोलना और इस पर क़ायम रहना शेवा ईमानी भी है और सच्चे रसूलों का सच्चा पैरोकार होने का सबूत भी।

आईए हम अहद करें कि हमेशा सच्च बोलेंगे। इस से क़बल हमसे जो कोताहियों हुईं, आईए हम सब इस पर अल्लाह से तौबा करें।

ख़ुद सच्च पर क़ायम रहने के साथ-साथ अपने तमाम अहल-ओ-अयाल और वाबस्तगान को भी इस की तालीम देना सुरु करे, उस की बरकात से आगाह करना और झूट की तबाह कारीयों से मुतआरिफ़ करे।

झूठ से इजतिनाब पर आमादा-ओ-कारबंद करना हमारा फ़र्ज़ है।

#Hadees

❤️पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब (ﷺ) की शिक्षाओं की एक झलक❤️

अल्लाह के आखरी पैगंबर मुहम्मद साहब (ﷺ) की शिक्षाओं की एक झलक,

“संसार के विषय में”

1. समस्त संसार को बनाने वाला एक ही मालिक अल्लाह हैं। वह निहायत मेहरबान और रहम करने वाला है। उसी की ईबादत (पूजा) करो और उसी का हुक्म मानो।

2. मैं अल्लाह की ओर से संसार का मार्ग दर्शक नियुक्त किया गया हूॅ। मार्ग दर्शन का कोई बदला तुमसे नही चाहता। मेरी बातें सुनों और मेरी आज्ञा का पालन करो।

3. अल्लाह ने इन्सान पर अनगिनत उपकार किए हैं। धरती और आकाश की सारी शक्तियॉ इन्सानों की सेवा मे लगा दी हैं। वही धरती और आकाश का मालिक हैं, वही तुम्हारा पालनहार हैं।

4. मै कोई निराला और अजनबी पैगम्बर नही हूॅं। मुझसे पहले संसार मे मार्ग दर्शन के लिए बहुत-से रसूल आ चुके हैं, अपने धर्म-ग्रन्थों में देख लो या किसी ज्ञानी व्यक्ति से मालूम कर लो। मैं पहले के पैगम्बर की शिक्षा को पुन: स्थापित करने और कपटाचारियों के बन्धन से मानव को मुक्त कराने आया हूँ।

5. अल्लाह (यानि अपने सच्चे मालिक ) को छोड़कर अन्य की पूजा करना सबसे बड़ा पाप और अत्याचार है।

6. अल्लाह की नाफरमानी करके तुम उसका कुछ बिगाड़ नहीं सकते। फरमाबरदार बनकर रहो, इसमें तुम्हारा अपना ही भला है।

7. अल्लाह की याद से रूह को सकून मिलता हैं, उसकी इबादत से मन का मैल दूर होता है।

8. अल्लाह की निशानियों ( दिन, रात, धरती, आकाश, पेड़-पौधे, जीव-जन्तु आदि की बनावट ) पर विचार करो। इस से अल्लाह पर ईमान मजबूत होगा और भटकने से बच जाओगे।

9. मैं इसलिए भेजा गया हू कि नैतिकता और उत्तम आचार को अंतिम शिखर तक पहुॅचा दू। मैं लोगो की कमर पकड़-पकड़कर आग में गिरने से बचा रहा हू, किन्तु लोग हैं कि आग ही की ओर लपक रहे हैं।

10. मैं दुनियावालों के लिए रहमत बनाकर भेजा गया हूॅ। तुम लोगो के लिए आसानियॉ पैदा करो; मुसीबते न पैदा करो। मॉ-बाप की सेवा करो। उनके सामने ऊॅची आवाज से न बोलो। उन्होने तुम पर बड़ा उपकार किया है, अत: तुम उनके आज्ञाकारी बनकर रहों।

“अन्याय अन्याय के विषय में”

11. मॉ-बाप यदि अन्याय का आदेश दे तो न मानों, बाकी बातों में उनकी आज्ञा का पालन करो।

12. सारे मानव एक मालिक(अल्लाह) के पैदा किए हुए है, एक मॉ-बाप ( आदम-हव्वा ) की संतान हैं। उनके बीच रंग-नस्ल जाति, भाषा, क्षेत्रीयता आदि का भेद भाव घोर अन्याय है। सारे लोग आदम की सन्तान है, उनसे प्यार करो घृणा न करो। उन्हे आशावान बनाओं निराश मत करो।

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