★★★★★★★★ नज़्म/ نظم ★★★★★★★★
लिख दिया तक़दीर में,
ख़ुदा ने जो भी हमारे।
नमाज़ में दुआओं के,
हम सब उसके सहारे।
माँ - बाप , भाई-बहन,
चाहे हो बीवी - बच्चें हमारे।
चरिंद - ओ - परिंद,
सब उसके सहारे,
वहीं है कौनैन का,
मालिक भी हमारे।
दिल न किसी का,
दुखाया करो तुम,
कभी भी किसी को,
न सताया करो तुम।
इबादत में उसके,
कोताही न करना।
इबादत में तुम भी,
यूँ मशगूल रहना।
रहें कुछ भी न याद,
सिवा उसके अब प्यारे।
वो मालिक हमारा,
हम उसके बंदे है न्यारे।।
لکھ دیا تقدیر میں,
خدا نے جو بھی ہمارے.
نماز میں دعاؤں کے ,
ہم سب اس کے سہارے.
ماں- باپ, بھائی- بہن,
چاہے ہو بیوی - بچے ہمارے.
چرند - و - پرند ,
سب اس کے سہارے ,
وہی ہے کونین کا
مالک بھی ہمارے.
دل نا کسی کا,
دکھایا کرو تم,
کبھی بھی کسی کو ,
نہ ستایا کرو تم.
عبادت میں اس کے ,
کوتاہی نہ کرنا .
عبادت میں تم بھی,
یو مشغول رہنا.
رہے کچھ بھی نہ یاد,
سوا اس کے اب پیارے.
وہ مالک ہمارا ,
ہم اس کے بندے ہیں نیارے.
■ عاقب جاوید©आकिब जावेद■
12 टिप्पणियाँ
शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आपका❤️🥰
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा नज़्म आदरणीय कभी मेरे ब्लॉग पर भी आइए सादर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया जी💐💐बिल्कुल जी,सादर आभार💐
हटाएंबेहतरीन ।।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया जी
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय जी
हटाएंबहुत अच्छी और सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबधाई
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया जी💐
हटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया
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