दिनभर खालीपन से ऊब कर,
शाम ने आखिर करवट बदल ली,
रात ले आयी तिमिर !
जिसमें था ;डर, भय,निराशा,
सुबह लेकर फिर आयी,
उम्मीद,आशा,हौसला,
जीवन में
होगा पुनः
उजास!
-आकिब जावेद
दिनभर खालीपन से ऊब कर,
शाम ने आखिर करवट बदल ली,
रात ले आयी तिमिर !
जिसमें था ;डर, भय,निराशा,
सुबह लेकर फिर आयी,
उम्मीद,आशा,हौसला,
जीवन में
होगा पुनः
उजास!
-आकिब जावेद
"सपने वो नहीं जो नींद में देंखें,सपने वो हैं जो आपको नींद न आने दें - ए० पी०जे०अब्दुल कलाम "
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2 टिप्पणियाँ
Bhut hi badiya sir gi 🙏🙏
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद मित्र
हटाएंThanks For Visit My Blog.