आज की शायरी


अपने अपने किरदारों को ढूँढता कौन है।।
कोई  मरता  हो मरे यहाँ सोचता कौन है।।

अपने अपने मज़हब को यहाँ सब मानेंगे।।
एक - दूजे  को अब यहाँ रोकता कौन है।।

- आकिब जावेद

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