मोहब्बत

मोहब्बत के दरो दीवार को प्यार से सींच
नफ़रतों के बौछारों में यहाँ क्या रखा है
ये ऐसी इमारत है, जो जैसा करे वैसा बने
देश को आपस में बाँटने में यहाँ क्या रखा है।।

✍️आकिब जावेद

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