है उलझी हुईं कबसे अंगुलियाँ आपस में सब
हाथों को इन्हें कभी काबू करना न आया
✒️आकिब जावेद
है उलझी हुईं कबसे अंगुलियाँ आपस में सब
हाथों को इन्हें कभी काबू करना न आया
✒️आकिब जावेद
"सपने वो नहीं जो नींद में देंखें,सपने वो हैं जो आपको नींद न आने दें - ए० पी०जे०अब्दुल कलाम "
Copyright (c) 2021 Awaj E Sukhan E Adab All Right Reseved
0 टिप्पणियाँ
Thanks For Visit My Blog.