कविता : हँसता हूँ रोता हूँ!

हँसता हूँ
रोता हूँ
मै न होकर
भी पास खुद
के होता है
भूल बैठा हूँ
खुद को
उलझा हुआ हूँ
परेशानी में,गम में
समझ नही पाया
कुछ अनसुना सा है
बिखरा सा
आधा सा
क्या हूँ मैं?
हाँ शायद मैं ही हूँ!
नदी के किनारे!
ख्यालों में!
सपनो में!
तेरे होने में
तेरे न होने में!

-आकिब जावेद

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ