हम तो नादान ही सही
कुछ कमी तो नही बातो में
फिर कंयू याद नही करते हो,
रह गयी है क्या कुछ कमी
जो बात नही करते हो,
हम तो नादान ही सही
तुम तो समझदार मालूम लगते हो,
तेरी मुश्कान में एक कशिश
फिर ऐसे कंयू मुह फुलाए फिरते हो,
ये यादे बाते और घनी राते
तेरे बिन सब सूनी लगती हैं,
जो तू है तो वैसी कंयू नही
जैसी ख्यालो में मालूम पड़ती हो,
तुम बिन नही कटती राते
तुम ऐसे कंयू तड़पाती रहती हो,
ए मेरे जोरो ख्याल,कुछ तो याद कर
ऐसे कैसे तड़पती फिरती हो,
हम तो नादान ही सही
तुम तो समझदार मालूम पड़ते हो,
कुछ कमी तो नही बातो में
फिर कंयू याद नही करते हो।।
-आकिब जावेद
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