क्षणिका-नदी/जीवन

🍃🙏🌿

🍃नदी🍃
उतरी पर्वत के पीड़ा से
अंतर्मन में करती ध्वनि
पहुँची जाके मेरे मन में
मन में मेरे बह रही नदी

🍃जीवन🍃

सुख!दुःख
के डोर को
जीवन से
बाँध कर!
नित नई
ऊँचाई से
सफलता
प्राप्त कर!

-आकिब जावेद
स्वरचित/मौलिक

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